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बन्दा बैरागी का बलिदान दिवस 9 जून, 1716

 9 जून, 1716 को उस वीर को हाथी से कुचलवा दिया गया मुगल राज से लड़ाई में #धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महावीर को नमन.. एक ऐसी #कहानी जो रोंगटे खड़े कर देती है और जिसको पढ़कर आपका सिर श्रद्धा से उनके चरणों में झुक जाता है.. बन्दा बैरागी धर्म की रक्षा के लिए बोटी बोटी करके  अपना शरीर #कुर्बान करने वाले  अमर बलिदानी बन्दा बैरागी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को ग्राम-तच्छल किला, पुंछ में श्री रामदेव के घर में हुआ। उनका बचपन का नाम लक्ष्मणदास था।  युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम #माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे। इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त मुस्लिम आतंक से जूझने को कहा। इस भेंट ...