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सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री अर्जुनदेव जी / बलिदान दिवस - 30 मई

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सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री अर्जुनदेव जी / बलिदान दिवस - 30 मई हिन्दू धर्म और भारत🇮🇳 की रक्षा के लिए यों तो अनेक वीरों एवं महान् आत्माओं ने अपने प्राण अर्पण किये हैं; पर उनमें भी सिख गुरुओं के बलिदान जैसा उदाहरण मिलना कठिन है। पाँचवे गुरु श्री अर्जुनदेव जी ने जिस प्रकार आत्मार्पण किया, उससे हिन्दू समाज में अतीव जागृति का संचार हुआ। गुरु श्री अर्जुनदेव जी  विक्रमी सम्वत् 1638 को  गुरु गद्दी सौंप  गई ।  सिख धर्म के पांचवें  गुरु अर्जुन देव के काल में अमृतसर शहर सिखों के धार्मिक केंद्रबिंदु के रूप में उभर रहा था. बड़ी संख्या में सिख बैसाखी के पवित्र उत्सव पर वहां उपस्थित होते थे. गुरुजी ने एक और अभिनव परंपरा का सृजन किया था. इसमें प्रत्येक सिख अपनी कमाई का दसवां हिस्सा (जिसे ‘दसबंद’ कहा जाता था) गुरुजी के राजकोष में जमा करवाता था. इस राशि का उपयोग धर्म एवं समाज के उत्थान के विभिन्न कार्यो में किया जाता था. इस बीच, धीरे-धीरे सिखों ने गुरु अर्जुन देव को ‘सच्च पातशाह (बादशाह)’ कह कर संबोधित करना आरंभ कर दिया था. सिख अनुयायियों की संख्या दिन दूना, रात चौगु...