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महाराजा सूरजमल

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मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से महाराजा सूरजमल  या  सूजान सिंह  (फरवरी 1707 – 25 दिसम्बर 1763)  राजस्थान  के  भरतपुर  के  हिन्दू   जाट  शासक थे। उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में  उत्तर प्रदेश  के  आगरा ,  अलीगढ़ ,  इटावा ,  हाथरस ,  मैनपुरी ,  मथुरा ,  मेरठ  जिले; राजस्थान के  भरतपुर ,  धौलपुर ,  मेवात ,  रेवाड़ी  जिले;  हरियाणा  का  गुरुग्राम ,  रोहतक  जिलों के अन्तर्गत हैं। राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था। मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे। राजा सूरज मल के समकालीन एक इतिहासकार ने उन्हें 'जाटों का प्लेटों' कहा है। इसी तरह एक आधुनिक इतिहासकार ने उनकी स्प्ष्ट दृष्टि और बुद्धिमत्ता को देखने हुए उनकी तुलना  ओडिसस  से की है। [1]  सूरज मल के नेतृत्व में जाटों ...

सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री अर्जुनदेव जी / बलिदान दिवस - 30 मई

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सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री अर्जुनदेव जी / बलिदान दिवस - 30 मई हिन्दू धर्म और भारत🇮🇳 की रक्षा के लिए यों तो अनेक वीरों एवं महान् आत्माओं ने अपने प्राण अर्पण किये हैं; पर उनमें भी सिख गुरुओं के बलिदान जैसा उदाहरण मिलना कठिन है। पाँचवे गुरु श्री अर्जुनदेव जी ने जिस प्रकार आत्मार्पण किया, उससे हिन्दू समाज में अतीव जागृति का संचार हुआ। गुरु श्री अर्जुनदेव जी  विक्रमी सम्वत् 1638 को  गुरु गद्दी सौंप  गई ।  सिख धर्म के पांचवें  गुरु अर्जुन देव के काल में अमृतसर शहर सिखों के धार्मिक केंद्रबिंदु के रूप में उभर रहा था. बड़ी संख्या में सिख बैसाखी के पवित्र उत्सव पर वहां उपस्थित होते थे. गुरुजी ने एक और अभिनव परंपरा का सृजन किया था. इसमें प्रत्येक सिख अपनी कमाई का दसवां हिस्सा (जिसे ‘दसबंद’ कहा जाता था) गुरुजी के राजकोष में जमा करवाता था. इस राशि का उपयोग धर्म एवं समाज के उत्थान के विभिन्न कार्यो में किया जाता था. इस बीच, धीरे-धीरे सिखों ने गुरु अर्जुन देव को ‘सच्च पातशाह (बादशाह)’ कह कर संबोधित करना आरंभ कर दिया था. सिख अनुयायियों की संख्या दिन दूना, रात चौगु...

वीर तेजाजी की जन्म कथा

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वीर तेजाजी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और उनका जन्म एक नागवंशी क्षत्रिय जाट घराने में हुआ था ।। वीर तेजाजी हिन्दू वीर तेजा मंदिर,  डिग्गी संबंध देवता  ( शिव  के  अवतार ) अस्त्र भाला जीवनसाथी पेमल माता-पिता ताहड़ देव (पिता) रामकंवरी (माता) एक माँ की संताने राजल (बहन) सवारी लीलण (घोड़ी) वीर तेजा  या  तेजाजी  एक राजस्थानी  लोक देवता  हैं। उन्हें शिव के प्रमुख ग्यारह अवतारों में से एक माना जाता है और  राजस्थान ,  मध्यप्रदेश ,  गुजरात ,  उत्तर प्रदेश  आदि राज्यों में देवता के रूप में पूजा जाता है। [1] [2] राजस्थान का इतिहास बहुत सारी वीर गाथाओं और उदाहरणों से भरा पड़ा है जहाँ लोगों ने अपने जीवन और परिवारों को जोखिम में डाल दिया है और निष्ठा, स्वतंत्रता, सच्चाई, आश्रय, सामाजिक सुधार आदि जैसे गौरव और मूल्यों को बरकरार रखा है। वीर तेजा राजस्थान के इतिहास में इन प्रसिद्ध लोगों में से एक थे। मानवविज्ञानी कहते हैं कि तेजाजी एक नायक है जिन्होने जाति व्यवस्था का विरोध किया। [3] जन्म संपादित कर...